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डिजिटल तकनीकी द्वारा युवाओं को शिक्षा, रोजगार, मार्गदर्शन और तकनीकी ज्ञान देकर सरकारी और गैर सरकारी कल्याणकारी योजनाओं का लाभ सुदूर गांवों तक पहुंचाने के उद्देश्य से यूसर्क ने डिजीटल साक्षरता की परिकल

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डिजिटल तकनीकी द्वारा युवाओं को शिक्षा, रोजगार, मार्गदर्शन और तकनीकी ज्ञान देकर सरकारी और गैर सरकारी कल्याणकारी योजनाओं का लाभ सुदूर गांवों तक पहुंचाने के उद्देश्य से यूसर्क ने डिजीटल साक्षरता की परिकल्पना की। डिजीटल साक्षरता कार्यक्रम की सफलता के ध्वजवाहक के रूप में डिजिटल वाॅलेण्टियर कार्यक्रम की अवधारणा ने जन्म लिया। प्रदेश के गांवों के आर्थिक, सामाजिक, राजनैतिक, शैक्षणिक विकास और रोजगार के ज्यादा से ज्यादा मौके पैदा करके जीवन स्तर को ऊंचा उठाकर गांवों को डिजिटलाइजेशन से जोड़ने हेतु तकनीकी परामर्श, प्रशिक्षण आदि सेवाओं को आम आदमी तक पहुंचाना ही इस कार्यक्रम का लक्ष्य है।उत्तराखंड जैसे पहाड़ी राज्य हेतु यह कार्यक्रम बहुत महत्वपूर्ण है। क्योंकि यहां के अधिकांश लोग शिक्षा, रोजगार और अन्य तकनीकी सुविधाओं के अभाव की वजह से गांवों से शहरों की ओर पलायन को मजबूर हैं। यहां रोजगार के अवसर सीमित हैं। खेती बारिश पर निर्भर है। चिकित्सा सुविधाओं का नितांत अभाव है। स्कूल दूर हैं। प्राकृतिक आपदाओं का खतरा हर वक्त मंडराता रहता है। ऐसे कठिन हालतों में उत्तराखण्ड हेतु डिजिटल वोलंेटियर कार्यक्रम समय की मांग है, क्योंकि तकनीेेेकी की मदद से ये डिजिटल वाॅलेण्टियर कल्याणकारी योजनाओं और सूचनाओं को लोगों तक पहूँचाकर एक बड़ा बदलाव ला सकेंगे।डिजिटल वाॅलेण्टियर आम लोगों को तकनीकी प्रशिक्षण देकर उनकी आवश्यक जरूरतों को पूरा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकेंगे। यह एक चमत्कार सरीखा होगा कि सुदूर गांव का एक दूरस्थ छात्र आईआईटी, आईआईएम, एनआईआईटी और यूजीसी जैसे संस्थानों के प्रतिष्ठित प्रोफेसरों के व्याख्यान तक पहुंच सकेगा। वहीं आम आदमी घर बैठकर बैंक, पोस्ट आफिस, बिजली, पानी और अपने रोजमर्रे के काम आसानी से कर सकेगा। आज ई-लर्निंग, ई-स्वास्थ्य, ई-मीडिया जैसे विषय दुनिया की तस्वीर बदल रहे हैं लेकिन तकनीकी निरक्षरता के कारण सभी लोग इसका फायदा नहीं मिल उठा पा रहे हैं। यूसर्क के डिजिटल वाॅलेण्टियर इसी खाई को पांटने का काम करेंगे। एक डिजिटल वाॅलेण्टियर आम आदमी को प्रौद्योगिकी के प्रयोग व तकनीक के बारे में बताकर उसके जीवन की समस्याओं को आसान बनाने में मदद करेगा। यूसर्क की सोच है कि विज्ञान और प्रौद्योेगिकी के युग में जब तकनीकी के प्रयोग से एक क्लिक मात्र से ही सभी सुविधाएं प्राप्त की जा सकती हैं, तो आखरी आदमी क्यों इससे पीछे छूटे? प्रदेश में तकनीकी (डिजिटल) साक्षरता बढ़ाने एवं प्रौद्योगिकी के माध्यम से आम जनता का जीवन सुगम एवं सरल बनाने हेतु यूसर्क ने राज्य सरकार की भावनाओं के अनुरूप डिजिटल वाॅलेण्टियर तैयार करने का बीड़ा उठाया है। इसके माध्यम से उत्तराखंड में आम लोगों तक डिजिटल क्रांति का लाभ पहुँचाने के रूप में तैयार करने की योजना है जिससे ये वाॅलेण्टियर लोगों को तकनीकी रूप से साक्षर कर सकें।डिजिटल वाॅलेण्टियर कार्यक्रम का उद्देश्य1 डिजिटल साक्षरता के बारे में लोगों में जागरूकता पैदा करना2 लोगों को डिजिटल क्रांति के लिए प्रेरित करना3 केंद्र और राज्य सरकार की विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं के बारे में प्रचार-प्रसार एवं उनका फायदा जरूरतमंद तक पहंुचाना सुनिश्चित करना4 लोगों को डिजिटल प्रौद्योगिकी के प्रयोग हेतु प्रशिक्षित करना5 साइबर सुरक्षा के बारे में जागरूकता पैदा करनाडिजिटल वाॅलेण्टियर कार्यक्रम का लाभ1 डिजिटल साक्षरता हसे सरकारी और गैर सरकारी योजनाओं का प्रभावी उपयोग हो सकेगा2 डिजिटल साक्षरता से लोगों के तकनीकी ज्ञान में वृद्धि होगी3 शारीरिक श्रम में कमी होगी4 जीपीएस और जीपीआरएस की मदद से दूरस्थ क्षेत्रों में विभिन्न कार्यक्रमों की प्रभावी सफलता सुनिश्चित हो सकेगी।5 प्रभावी माॅनीटरिंग एंव अनुश्रवण व्यवस्था सुनिश्चित होगी6 लोगों का सरकार पर विश्वास बढ़ेगाडिजिटल वाॅलेण्टियर क्यों बनें ?समाज में बौद्धिक सामाजिक उŸारदायित्व की भावना का विकास होगा। क्योंकि स्वयंसेवा सामाजिक जिम्मेदारी का एहसास लाती है। डिजिटल वाॅलेण्टियर के रूप में कार्य करने से युवाओं को समाज के लिए कुछ नया करने के लिए नए अवसर प्राप्त होंगे।डिजिटल वाॅलेण्टियर कौनडिजिटल स्वयंसेवी वह व्यक्ति बन सकता है जो- 1 जिसे कम्प्यूटर का ज्ञान हो 2 कोई भी सेवारत या सेवानिवृत्त्त सरकारी या गैरसरकारी कर्मचारी, शिक्षक या शिक्षाविद3 कोई भी जागरूक नागरिक जो डिजिटल तकनीकी का ज्ञान रखता हो।

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